कभी तुम बगीचे में फूल बन जाओ,
इसे मुस्कुरा कर देखो.
कभी भवरा बनकर,
उस फूल को गुनगुनाते हुए देखो.
तुम मुरझा कर चले जाओ,
मुरझाए चेहरे के साथ,
इसे मुस्कुरा कर देखो.
तुम्हें जीवन में क्या नहीं मिला,
दूसरों को देखो.
कोई आपकी बात नहीं सुन सकता,
अफ़सोस, तुम दूसरों का दर्द सुनते हो,
कृपया उसे देखें.
कोई तुम्हारा नहीं,
लेकिन अपने आप को किसी व्यक्ति के रूप में देखें।
जीवन में हमें जो संगीत मिला,
इसे गुनगुनाते हुए देखो.
आप मुर्ख क्यों हो?
गा सकते हैं
कीमत समझने के बाद देखें.
सौभाग्य से, इसे देखा जा सकता है
दुनिया में भी,
जो दुनिया नहीं देख सकता,
आप उसका दर्द समझिये और देखिये.
तुम शिकायत करते रहोगे
भगवान के साथ भी,
कभी-कभी उसका शुक्रिया भी अदा करें.
तुम प्रभु का दर्द सुनोगे,
कभी उसका दर्द सुन कर तो देखो.
जीवन में देखकर भी,
कभी-कभी कुछ
इसे नजरअंदाज करो,
जीवन एक असहाय गीत है,
इसे गुनगुनाते हुए देखो
-देवेंद्र किशोर ढुंगाना
झापा, भद्रपुर